निमाड़ के रॉबिनहुड कहलाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भीमा नायक का मृत्यु प्रमाण-पत्र पहली बार सामने आया है। उनकी मृत्यु 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी।
धोखे से पकड़ा था भीमा को
भीमा नायक के जीवन को लेकर अब भी कई तथ्य अबूझ ही हैं। हालांकि अब तक हुए शोध के अनुसार भीमा का कार्य क्षेत्र बड़वानी रियासत से वर्तमान महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र तक रहा है। 1857 में हुए अंबापानी युद्ध में भीमा की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अंग्रेज जब भीमा को ऐसे नहीं पकड़ पाए तो उन्हें उनके ही किसी करीबी की मुखबिरी पर धोखे से पकड़ा गया था। शोध में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया है कि उस समय जब तात्या टोपे निमाड़ आए थे तो उनकी मुलाकात भीमा नायक से हुई थी। उस दौरान भीमा ने उन्हें नर्मदा पार करने में सहयोग किया था।
धोखे से पकड़ा था भीमा को भीमा नायक के जीवन को लेकर अब भी कई तथ्य अबूझ ही हैं। हालांकि अब तक हुए शोध के अनुसार भीमा का कार्य क्षेत्र बड़वानी रियासत से वर्तमान महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र तक रहा है। 1857 में हुए अंबापानी युद्ध में भीमा की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अंग्रेज जब भीमा को ऐसे नहीं पकड़ पाए तो उन्हें उनके ही किसी करीबी की मुखबिरी पर धोखे से पकड़ा गया था। शोध में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया है कि उस समय जब तात्या टोपे निमाड़ आए थे तो उनकी मुलाकात भीमा नायक से हुई थी। उस दौरान भीमा ने उन्हें नर्मदा पार करने में सहयोग किया था।
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