Monday, 3 July 2017

हुल_दिवस_आदिवासी_के_लिए_क्यों_महत्वपूर्ण_हैं.

1:- #भारत_में_ब्रिटिश_हुकूमत_के_अधीन_महाजनीप्र
था और सरकार की बंदोबस्ती नीति के ख़िलाफ़ 30 जून 1855 को पहला विद्रोह हुआ था, जिसे 'संथागल हुल' "संथाल विद्रोह " के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन 30 हज़ार संथाली लोग, अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए भोगनाडीह वर्तमान झारखण्ड में जमा हुए थे। इस क्रांति के अग्रदूत थे चार भाई सिदो, कान्हु, चाँद और भैरव मुर्मू। यह हुल ब्रिटिश इतिहासकार हंटर के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उग्र क्रांतियों में से एक था, जिसमें 30 हज़ार संथाली शहीद हुए थे।
2:- #अंग्रेजी_हुकूमत_का_शोषण_इस_हद_तक_था_कि_इन आदिवासियों को 50 प्रतिशत से 500 प्रतिशत तक खेती-कर देना पड़ता था। जब सिदो मुर्मू और कान्हु मुर्मू ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई तो हज़ारो-हज़ार लोगों के समूह ने इनका स्वागत किया, जिन्होंने भोगनाडीह गाँव में जमा होकर खुद को स्वतंत्र घोषित किया और स्थानीय जमींदार, पूँजीपतियों, सूदखोरों के खिलाफ जंग छेड़ने की शपथ ली। कहा जाता है कि सिदो मुर्मू को अंग्रेज़ पुलिस ने पकड़ लिया और कान्हु एक एनकाउंटर में मारा गया। आज का दिन इसी क्रांति की याद में 'हुल दिवस' के रूप में मनाया जाता हे।
3:-#हुल_दिवस_भारत_में_आदिवासी_समुदाय_की_और_से शुरू की गई प्रथम संग्राम के रूप में भी जानी जाती हे। आज हम जिस 1869 के एग्रीमेंट और आदिवासी के भारत सरकार होने की बात गर्व से कहते हे। आज हम जिस शिड्यूल एक्ट और आर्टिकल 244(1)(2) की बात करते हे ।आज हम जिस पार्शली एक्सलुडेड और एक्सलुडेड एरिया की बात कर अपने आपको जिस आदिवासी क्षेत्र के मालिकाना हक़ की बात करते हे वह सब " हुल क्रांति" की बदौलत हैं.
4:- #हुल_क्रांति_दिवस_भारत_के_प्रथम_स्वतंत्रता_संग्राम के नाम से भी जाना जाता हे और हमारे आदिवासी युवाओ को उनके साथ होने वाले शोषण और अन्याय से लड़ने की प्रेरणा भी देता
लेखक:- प्रो एम् एल गरासिया

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